देशभर में कोरोना महामारी के चलते व्याप्त लॉकडाउन के चलते केंद्र सरकार द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही हैं। इन स्पेशल ट्रेनों के जरिए देशभर में फंसे हुए मजदूरों को अपने गृहराज्य पहुंचाए जाने की योजना है।
लेकिन इन ट्रेनों का फायदा उठाकर टीसीएस के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अपने को मजदूर बताकर इन ट्रेनों से अपने गृहराज्य पहुंच रहे हैं। राज्य सरकारों को टीसीएस इंजीनियर्स और मजदूरों में फर्क पकड़ने में दिक्कत हो रही हैं।
अपना नाम ना बताएं जाने की शर्त पर हाल ही में श्रमिक स्पेशल ट्रेन से अपने गृहराज्य पहुंचे एक टीसीएस कर्मी ने बताया कि लॉकडाउन के चलते हमें वर्क फ्रॉम होम करने को कहा गया था। वर्क फ्रॉम होम का साफ साफ मतलब अपने घर जाकर काम करना होता है। इसीलिए मैं अपने घर चला आया। (ज्ञात रहे कि उक्त टीसीएस कर्मी कॉलेज प्लेसमेंट से टीसीएस में चयनित हुए था।) जितनी सैलरी मिलती हैं उसमें तो हम सब मजदूरों की तरह ही जीना पड़ता हैं। इसलिए खुद को मजदूर बताकर अपने घर आ गया।
उक्त विषय में रेलवे के एक उच्च अधिकारी ने इस समस्या को स्वीकार किया और कहा कि रेलवे इस मामले में कड़े कदम उठाने वाली हैं। हर रेलवे स्टेशन पर एक आईडी कार्ड स्कैनर लगाया जाएगा। जो भी मजदूर अपना आईडी कार्ड स्केन करेगा उसे टीसीएस कर्मी मानकर ट्रेन में नहीं बैठाया जाएगा और सजा के तौर पर उन टीसीएस कर्मियों को कोरोना प्रभावित देशों जैसे इटली, फ्रांस, अमेरिका आदि में ओनसाइट भेज दिया जाएगा।
द फ़ौकसी की टीम ने रतन टाटा से इस सम्बन्ध में उनके विचार जानना चाहा। रतन टाटा ने इस विषय पर फेक कोट देने से इंकार कर दिया।