विगत कुछ सालों से ये देखने में आया है की जैसे गिरगिट रंग बदलते हैं वैसे ही दीवाली पे फोड़े जाने वाले पटाखों कि प्रकृति बदलती है, मानो या ना मानो लेकिन ये बात सामने आयी है कि दीवाली पे फोड़े जाने वाले पटाख़े अन्य अवसरों पर फोड़े जाने वाले पटाखों से बिल्कुल ही भिन्न किस्म के व्यवहार करते पाए गए हैं।
नासा के बड़े साइंटिस्ट (नाम अभी कन्फर्म नहीं है) ने भी ये बात पुष्टि की है जो कि उनके रिसर्च के अनुसार सामने आयी है कि दीवाली के पटाख़े अक्सर प्रदूषण को फैलाते और बढ़ावा देते नजर आए हैं, जबकि अन्य अवसरों (जैसे क्रिसमस, सबे- बारात या बर्थडे, मुंडन या फिर नेताओं की जीत के खुशी) में फोड़े जाने वाले पटाखे हवा में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुए हैं। पटाखों की ये प्रकृति निश्चय ही हैरान करने वाली है।
पर देखना ये है कि क्या नासा के साइंटिस्ट कुछ ऐसी तरकीब की खोज कर पाते है कि नहीं की जिससे पटाखों को ये पता ना चले कि वो दीवाली के लिए चलाए जा रहे हैं या किसी पार्टी के जश्न के लिए।
अगर ऐसा हो जाए तो हम दीवाली वाले पटाखों को क्रिसमस का बता कर फोड़ सकते हैं इससे हवा में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ी रहेगी और प्रदूषण भी नहीं फैलेगा। 🙏