राजनीति महाराष्ट्र में चरम पर है। घटनाएं सारी अब्बास मस्तान की फिल्मों की तरह अप्रत्याशित रूप से घट रही है। अभी बहुत सारे विधायक गांव के प्रोफेशनल गोताखोरों की तरह हो रखे हैं। डुबकी लगाने के बाद किस तरफ निकलेंगे यह अंदाजा लगाना बहुत कठिन हो रखा था। बातें ऐसी भी चल रही है, कि नई सरकार बनने से चुनाव चिन्ह के लिए भी असमंजस की स्थिति बन गई है।
विधायकों के साथ चुनाव चिन्ह को भी दो हिस्सों में बांटे जाने की खबरें फॉक्सी सूत्र को मिली है । जिसमें धनुष और तीर का अलग-अलग बंटवारा किया जा सकता है । एकनाथ शिंदे जहां अपना धनुष लेकर निकल पड़े हैं , और तीर उद्धव ठाकरे के लिए छोड़ गए हैं । कुछ लोगों का यह भी कहना है कि सही समय में सही डिसीजन लिए गए होते तो आज तीर लेने की नौबत नहीं आती ।
टूटे दिल और भरोसे पर किसी शायर ने ऐसे ही हालात पर शेर लिखा है
“किसी का टूटा ऑफिस ,
किसी का चकनाचूर हुआ भरोसा।
कुछ ने खाई मजे से खाई खीर ,
कुछ को लेना पड़ा तीर ।