कानपुर के रहने वाले मोनेश कुमार ने जब टीवी पर लालू यादव को देखा तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं। “अबे, ये आदमी तो फिर से ठीक हो गया, मैं तो सोच रहा था कि…? अबे क्या खाता है ये आदमी?” -कहते हुए मोनेश ने अपना माथा पकड़ लिया।
मोनेश को लालू से ईर्ष्या होने लगी क्योंकि उसने भी बॉडी बनाने के लिए ना जाने कितने रुपये प्रोटीन शेक में बर्बाद कर दिए थे। इसके बावजूद ना वो तरोताजा महसूस करता था और ना ही पसलियों में कोई जान आई थी।
उसने सोचा कि क्यों ना एक बार चारा खाकर ही देख लिया जाए क्योंकि लालू जी ने भी तो चारा ही खाया था, आज उनकी सेहत देखिए, टकाटक है! इसलिए एक बार ट्राई करने में क्या बुराई है? हाथ कंगन को आरसी क्या पढे-लिखे को फारसी क्या?
बस, फिर क्या था उसने रोज सुबह उठकर दो किलो चारा खाना शुरू कर दिया। चारा खाने के बाद प्यास भी जमकर लगती है तो मोनेश तीन बाल्टी पानी आसानी से पी जाता है।
उधर, एक हफ्ते में ही नतीजा सबके सामने है, मोनेश की फुर्ती देखकर उसके दोस्त भी हक्के-बकके रह जाते हैं, वो ऐसा उछलता है जैसे कोई बछड़ा उछल रहा हो।
पहले जहाँ लड़कियाँ मोनेश को घास भी नहीं डालती थीं, वहीं अब ‘चारा’ की वजह से घास भी डाल रही हैं और हाय-हैलो भी कर रही हैं। हालाँकि मोनेश के माता-पिता को इसकी कोई जानकारी नहीं है, वो तो इस बात से हैरान हैं कि गायों की खुराक अचानक बढ़ कैसे गई है।