दिनभर की थकान के बाद शाम को एक कप चाय के साथ बढ़िया पकोडे मिल जाए तो उससे मजेदार और कुछ नहीं होता. पूरे दिन में काफी बार ऐसा होता है जब हमें अचानक भूख लग जाती है तब हम कुछ चुटर मटर खाकर काम गुजर लेते है, आपने भी अपनी माँ या पत्नी से बारिश के दौरान कई बार पकोड़ो बनाने की मांग की होगी जैसे कि अक्सर होता है ! और शायद आपकी मांग पूरी भी हुई हो, मगर सबकी मांग पूरी नहीं होती, लक्ष्मण, जो की हरिद्वार के निवासी हैं उनकी भी नहीं हुई|
लक्ष्मण जो चाय और पकोड़े के शौकीन है आये दिन अपनी पत्नी से पकोडे बनाने के नये नये बहाने तलाश करते थे मगर मानसून आने की कोई उम्मीद नहीं होने ने उनको काफी परेशान कर दिया और को अब किसी का इंतज़ार था तो वो मानसून का|
सोमवार सुबह ९ बजे जब लक्ष्मण ऑफिस के लिए निकलने वाले थे और उनकी पत्नी अपने दिन भर के काम में लग चुकी थी तभी, बालकनी में खड़े लक्ष्मण के चेहरे पर पानी की कुछ बूँदें गिरीं जिसने तुरंत बाद ने फ़ासिला लिया की वो आज काम पर नहीं जायेंगे और अपनी पत्नी को चाय और पकोड़े बनाने का आदेश दे डाला|
पसीने में डूबी उनकी पत्नी शायद किसी और बात से ही नाराज़ थी और हाथ में लिया हुआ झाड़ू किसी और काम ही आने वाला था, दरअसल लक्ष्मण के चेहरे पर गिरने वाली पानी की बूँदें मानसून का आगमन नहीं बल्कि बालकनी में धो कर सुखाये हुए कपड़ों से गिर थे| बस फिर क्या था लक्ष्मण आगे आगे और उनकी पत्नी झाड़ू लिए पीछे-पीछे|
फिलहान लक्षमण छुट्टी ओर हैं और अपनी पत्नी से मलहम पट्टी करवा रहे हैं|