दिल्ली के राम लीला मैदान में इतनी बार राम लीला नहीं हुयी होगी जितनी बार वहां अन्ना हज़ारे का अनशन हो चुका है लोकपाल बिल से शुरुवात कर अन्ना हज़ारे ने दिल्ली की सियासत में एक एहम भूमिका निभाई थी जिसकी एक देन दिल्ली का पलटूराम घुँघरू सेठ है
अनशन के नाम पर इन दोनों का ऐसा दोस्ती हुआ मानो दोनों एक थाली में खाते हों भले ही बाद में घुँघरू सेठ ने लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित करने के लिए अनशन वाला पथ छोड़ कर खुद को थप्पड़ पड़वाने का रास्ता अपना लिया हो, मगर अन्ना हज़ारे आज भी अनशन वाले रास्ते पर ही चल रहे हैं।
हमेशा आमरण अनशन पर रहने वाले अन्ना हज़ारे ने शनिवार शाम को जब घरवालों से खुद खाना माँगा तो उनके होश ठीक वैसे ही उड़ गए जैसे लाली को देख कर घुंगरू सेठ के होश उड़ते हैं घरवालों के होश ठिकाने ना रहे और उन्होंने तुरंत अन्ना हज़ारे को एम्स हस्पताल में भर्ती करवा दिया। आपकी जानकारी के लिए बता दें की जैसे सूर्य ग्रहण कई वर्षों में एक बार देखने को मिलता है ठीक वैसे ही अन्ना हज़ारे को भूख लगने की घटना भी कई वर्षों में एक बार ही देखने को मिलती है।
अन्ना हज़ारे के घरवालों ने हमारे संवादाता रविश बीमार को बताया की कैसे उन्हें एक के बाद एक अनशन करने की लत्त लग गयी है जिसके चलते अब वो नवरात्रों के व्रत भी नवराते ख़तम होने के 7-8 दिन बाद बड़ी मुश्किल से तोड़ते हैं और कैसे उनके घरवालों को उन्हें ज़बरदस्ती खाना खिलाना पड़ता है।
फिलहाल डॉक्टरों ने आश्वाशन दिया है कि डरने की कोई बात नहीं है सालों बाद इंसान में जब कोई बदलाव आता है उसकी वजह होता है उसकी पीठ में घोंपा हुआ ख़ंजर। और अन्ना को ख़ंजर किसने घोंपा ये लिखने की ज़रूरत नहीं।