ऋतुएँ नियमित अंतराल के बाद बदलती रहती हैं, ग्रीष्म के बाद वर्षा फिर शीत किंतु भारत वर्ष में इस समय एक कृत्रिम ऋतु “धरना प्रदर्शन” चल रही है जो बारह मासी है, हर ऋतु की तरह इस धरना प्रदर्शन की भी एक विशेषता है, फिजाओं में गूंजते भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह और कथित क्रांतिकारियों के बीच में बंटती भैंसे की बिरयानी।
वैसे तो इस ऋतु का केंद्र बिंदु दिल्ली शहर है क्योंकि दिल्ली के मादरणीय मुख्यमंत्री केजरीवाल इस ऋतु के फलने फूलने के लिए अनुकूल वातावरण मुहैय्या कराते हैं लेकिन जब ये ऋतु अपने चरम पर होती है तो आस पास के प्रदेशों को भी अपने चपेट में ले लेती है।
हाल में ही फॉर्मर प्रोरेस्ट की आंच उत्तर प्रदेश तक जा पहुंची जिसे पहले योगी जी ने नकार दिया पर जब इसमें जाट समुदाय शामिल हुआ तो दबाव में योगी सरकार ने बार्डर पर प्रोटेस्ट की अनुमति प्रदान की किंतु इस शर्त के साथ कि प्रोटेस्ट बिल्कुल सात्विक होगा, भैंसे की बिरयानी की जगह मूंग की दाल की खिचड़ी बटेंगी और प्रदर्शनकारियों को भगवा वस्त्र पहनना होगा।
खबर लिखे जाने तक किसान नेता राकेश टिकैत अपने साथियों के साथ विचार विमर्श में लगे थे।