मेरठ: आये दिन देश मे बढ़ती हुई असहिष्णुता की कई घटनाओं ने समाज के विशेष व शान्तिप्रिय समुदाय को चिंता में डाल दिया है और पूरे देश के समाचार पत्रों में इसकी चर्चा ज़ोरो पे है जिसके परिणामस्वरूप कई बुद्धिजीवियों व नामी गिनामी कलाकारो ने इन घटनाओँ के विरोध में सामने आकर अपने सरकार से मिले पुरुस्कार भी वापस कर दिए हैं परंतु इनाम की राशि वापस करना भूल गए।
इसी संदर्भ में पिछले दिनों मेरठ के रेलवे स्टेशन पर घठित एक अविश्वसनीय घटना सामने आई जिसमे अब्दुल नाम का व्यक्ति ट्रेन से गिरकर घायल हो गया और काफी देर तक लुहलुहान अवस्था मे पटरी के किनारे पड़ा रहा, आस पास चलते राहगीर जब सहायता के लिए आगे आये तो अब्दुल ने अस्पताल जाने से मना कर दिया और काफी देर तक अपने मोबाइल का कैमरा चालू कर के रेकॉर्डिंग करता रहा इस इंतज़ार में कि कोई उसे जय श्री राम बोलने के लिए प्रोत्साहित करें।
मौक़ाए वारदात पर जब चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज करवाये गए तो कहानी का दूसरा ही पहलू सामने आया, लोगो ने बताया की अब्दुल ट्रेन की पटरियों पे कील बिछा रहा था ताकि ट्रेन के पहिये पिंचर हो जाये और वो पिंचर जोड़ के अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड कर पाए, आस पास छानबीन करने पे वँहा कई कीलें भी बरामद की गईं और अब्दुल के बक्से में पिंचर बनाने का समान भी जब्त किया गया।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की सामाजिक कार्यकर्ता शीला राशिद ने इस घटना की भर्त्सना करते हुए बयान जारी किया है कि मोदी के कार्यकाल में जानबूझकर ट्यूबलेस टायर लाये गए हैं जिससे विशेष समुदाय के लोग बेरोज़गारी झेल रहे हैं और साथ ही शीला राशिद ने ट्रेन में भी रबर के टायर डलवाने की मांग कर डाली ताकि सबका साथ और सबका विकास सम्भव हो सके ।