दोस्तों, काजोल ने अपने शो में अजय देवगन पर जो आरोप लगाए है, उसिके डैमेज कंट्रोल के लिए अजय देवगन ने दे दे प्यार दे 2 बनाई है , atleast फिल्म देखकर तो यही लगता है। फिल्म में डबल एज-गैप रोमांस को तो नॉर्मलाइज़ करती ही है, साथ ही चीटिंग को भी नॉर्मलाइज़ करने की कोशिश करती है और फिल्म में रकुल प्रीत कहती हैं कि “जब एक बार साथ सोने से प्यार नहीं हो जाता, तो एक बार दूसरे के साथ सोने से टूट कैसे सकता है?” फिल्म की कास्टिंग भी सही नहीं है — आर. माधवन और गौतमी कपूर रकुल प्रीत के माँ-बाप कम और भैया-भाभी ज़्यादा लगते हैं। साथ ही मीज़ान जाफ़री को फिल्म में कासानोवा की तरह दिखाने की कोशिश की गई है कि जिन्हें कोई भी लड़की देखते ही दिल दे बैठेगी, लेकिन असल में दिल्ली के ई-रिक्शावाले भी उनसे ज़्यादा अच्छे दिखते हैं। रकुल प्रीत और अजय देवगन की केमिस्ट्री भी इतनी अच्छी नहीं लगती, जिसे देखकर एहसास होता है कि अजय देवगन का पहला प्यार तो विमल गुटखा ही रहेगा। फिल्म में जोक्स हिट-एंड-मिस हैं, हालाँकि रेफरेंसेज़ बहुत अच्छे हैं और ये सब मिलकर फिल्म का फ़र्स्ट हाफ़ मज़ेदार बनाते हैं। लेकिन फिल्म के सेकंड हाफ़ में इतना ड्रामा है कि झेलना मुश्किल हो जाता है। ओवरऑल, अगर आप अजय देवगन के फ़ैन हो तब भी आपको ये फिल्म देखने थिएटर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि फिल्म में अजय देवगन का स्क्रीन टाइम इतना कम है कि वो खुद अपनी फिल्म में एक्स्ट्रा लगते हैं। तो दोस्तों, फिल्म जल्दी ही नेटफ्लिक्स पर आ जाएगी, तब आप इसे देखते हुए अपना फ़ोन चला लेना।
De De Pyar De 2 Movie Review2.5 ⭐




