निकल घोड़े… जब भी बात हिंदुस्तानी भाऊ की आती है ज़हन में यही शब्द आते है। बीते दिनो में भाऊ की लोकप्रियता इतनी बढ़ गयी है कि भारत सरकार ने उन्हें हिंदी को प्रचिलित करने के लिए अवॉर्ड देने का फ़ैसला किया है।
कल्चरल मिनिस्टर प्रह्लाद सिंह पटेल ने हमसे बात की इस अवॉर्ड के पीछे छुपी कहानी को बताया। उन्होंने कहा “भाऊ ने गालियों से ही सही लेकिन अंग्रेज़ी बोलने वाले नौजवानों के बीच हिंदी को प्रचिलित कर दिया है। अब वह लोग अंग्रेज़ी गालियों को छोड़ भाऊ के ऐक्सेंट और गालियों का प्रयोग कर रहे है। इसलिए भाऊ को यह अवॉर्ड दिया जाएगा। यह अवॉर्ड 19 सितम्बर को होने वाले ऐन्यूअल डे पर दिया जाएगा। जिसमें मोदी जी के शामिल होने की भी संभावना है”।
हिंदुस्तानी भाऊ से हमने बातचीत करने की काफ़ी कोशिश की लेकिन हर बार वो या तो वो कॉल नहीं उठाते थे या फिर उनका सिक्रीटरी अजित हमें उनके ना होने की ख़बर देता था।
हिंदी भाषा चीज़ ही ऐसी है.. जो इसे अपना लेता है वो गालियों के माध्यम स क्यूँ ना हो लेकिन आपको कहीं ना कहीं पहुँचा ही देती है।