इस विश्वकप में पाकिस्तानी बल्लेबाजों ने इतनी गेंदें नहीं खेली जितनी बार सन 1992 का ज़िक्र किया गया है। इसका श्रेय जाता है पाकिस्तान की बुद्धिजीवी जनता को जिसने हर चीज़ को 1992 के विश्व कप से जोड़ दिया। यहां तक कि एक बार सरफ़राज़ को दस्त लग जाने पर ड्रेसिंग रूम में जश्न इसलिए मनाया गया क्योंकि 92 में इमरान खान भी कच्छे खराब कर चुके थे।
जब मुल्क की जनता और खिलाड़ी इतने बुद्धिजीवी हों तो उस मुल्क का मुखिया कितना बड़ा वाला होगा आप सोच सकते हैं ( हां बुद्धिजीवी कुछ और मत सोचिए )। इसी को साबित करते हुए आज पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट करते हुए कहा कि यह विश्व कप 92 की तरह पाकिस्तान ही जीतने वाला था मगर 92 की तर्ज़ पर इस बार भी कोई मस्जिद न गिरा दी जाए इसलिए पक्की मुसलमान टीम पाकिस्तान जानबूझ कर यह विश्व कप हार गई।
इस ट्वीट के बाद पाकिस्तान में जश्न मनाने शुरू कर दिए गए और मीडिया इमरान को ढूंढने लगी चप्पल लेकर। मगर इमरान के सचिव ने मीडिया से बात करते हुए कहा ” जी हां वज़ीर ए आज़म ने बिल्कुल सही फरमाया , इस बार 92 की तरह ही सब चल रहा था आप पहले 8 मैच की नतीजे देखकर चेक कर सकते हैं। मगर साथ ही हमको एक चिंता थी कि 92 में विश्वकप तो जीत गए थे मगर उसके बाद भारत मे मस्जिद गिरा दी गयी थी , और हमारी खुफिया इंटेलिजेंस एजेंसी isi ने हमको इसबार आगाह कर दिया था। इमरान क्योंकि एक सच्चे मुसलमान हैं इसलिए वे किसी भी सूरत में मस्जिद बचाना चाहते थे , और इसका सबूत देते हुए उन्होंने तुरंत पाक टीम के कोच मिकी आर्थर और कप्तान सरफ़राज़ को चिट्ठी लिखकर दीन का वास्ता देकर अपने आपको विश्वकप से बाहर निकल जाने को कहा। ”
इमरान के चाहने वालों ने इस घटना पर उन्हें इस्लाम का सबसे बड़ा फरिश्ता बता दिया और उनका शुक्रिया अदा किया। पाकिस्तान में जश्न है मगर बाहर की दुनिया मे सभी यह खबर सुनकर अपने बाल नोंचने लगे हैं इसलिए फौक्सी आपको गंजा हो कर यह खबर पढ़ने की नसीहत देता है।