दोस्तों, राजकुमार राव की नई फ़िल्म मालिक दिखाने वाले एक थिएटर का मालिक खुद नौकर बन गया, क्योंकि फ़िल्म इतनी वाहियात है कि कोई देखने ही नहीं आया और उसे थिएटर बेचकर अपने ही थिएटर में नौकरी लेनी पड़ी।
दरअसल, राजकुमार राव एक ग़रीब मिडिल क्लास लड़के के रोल से बाहर आने के लिए इतने डेस्परेट हो गए थे कि उन्होंने मालिक की स्क्रिप्ट पढ़े बिना ही हाँ बोल दिया।
इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट ऐसी लगती है कि जैसे किसी AI को बॉलीवुड की सारी गैंगस्टर मूवीज़ दिखा कर स्क्रिप्ट लिखवाई गई हो और उसे बोला गया हो कि गैंग्स ऑफ़ वासेपुर की बी-ग्रेड कॉपी बनानी है।
राजकुमार राव को खुद भी मिडिल क्लास लड़का प्ले करने की ऐसी आदत लग गई है कि उनका गैंगस्टर वाला ऑरा स्क्रीन पर महसूस ही नहीं होता और फिल्म में हर किसी से सैकड़ों बार खुद को मालिक बुलवाने के बाद भी राजकुमार राव की स्क्रीन प्रेज़ेंस नौकर जैसी ही लगती है। और पूरी फ़िल्म पर बरेली की बर्फ़ी वाले गैंगस्टर राजकुमार राव का बस एक सीन ही भारी पड़ता है।
फ़िल्म में ओवरऑल कुछ भी नया नहीं है और अगर आप बस राजकुमार राव को एक अलग अवतार में देखना चाहते हैं, तो भी आप ये फ़िल्म न देखकर बरेली की बर्फ़ी दोबारा देख लें। ताकि अपने पैसे बर्बाद करने के बाद आपको भी मालिक की जगह नौकर जैसा महसूस न हो।