हाउसफुल 5 रिव्यु

दोस्तों, हाउसफुल 5 को देखकर ऐसा लगता है कि इसके प्रोड्यूसर राज कुंद्रा हैं और फिल्म को थिएटर में नहीं बल्कि Alt Balaji या Ullu पर रिलीज़ होना चाहिए था, क्योंकि ये फिल्म लगभग एक सॉफ्ट पॉर्न जैसी लगती है।

फिल्म कहने को तो एक मर्डर मिस्ट्री है जो कि एडम सैंडलर की इसी नाम की मूवी की लूज़ कॉपी है। लेकिन इसमें इतने अनफनी और वल्गर सेक्स और डबल मीनिंग जोक्स हैं कि फिल्म के शुरू के 10 मिनट में ही पता चल जाता है कि मर्डर कॉमेडी का होगा और कातिल हाउसफुल 5 के राइटर्स होंगे।

हाउसफुल 5, अक्षय कुमार की आज तक की सबसे घटिया कॉमेडिक एक्टिंग है, जिसे देखकर समझ आता है कि परेश रावल ने हेरा फेरी 3 क्यों छोड़ी — और अब हमें भी अक्षय कुमार से सारी उम्मीदें छोड़ देनी चाहिए क्योंकि कोविड का कमबैक भले ही हो गया हो, अक्षय कुमार का अब कभी नहीं होने वाला।

फिल्म देखकर ऐसा लगता है कि फीमेल एक्टर्स को बस आई कैंडी के लिए रखा गया है, वहीं इतने सारे मेल एक्टर्स भरकर उन्हें कह दिया गया कि “जो मन है कर लो, हम कैमरा चला रहे हैं।”

फिल्म के दो पार्ट इसलिए रखे गए हैं ताकि दर्शकों को अपना वाला पार्ट इतना घटिया लगे कि वो सोचें “शायद दूसरा वाला अच्छा होगा” — और वो फिल्म की जगह खुद की चॉइस पर सवाल उठाने करने लगे।

फिल्म के एंड-एंड तक आपको ऐसा लगेगा कि इस मर्डर का इल्ज़ाम मैं अपने सिर ले लूं और जेल चला जाऊं, ताकि ये फिल्म और न झेलनी पड़े।
और अगर ये रिव्यू देखने के बाद भी आप पैसा खर्च करके ये फिल्म देखने गए — तो आपका जेल जाना बनता भी है।

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