जब से भारत को G20 की मेजबानी मिली है बैठकों का दौर शुरू हो गया है, हर रोज किसी ना किसी शहर में कोई ना कोई मीटिंग्स होती ही रहती हैं, विदेशी मेहमान आते हैं और देश का कोना-कोना देखकर वापस चले जाते हैं। इतने सारे मीटिंग्स से क्या फायदा होता है ये तो पता नहीं पर मीटिंग्स हैं कि रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
विशेषज्ञों का दावा है कि इन मीटिंग्स में जितने रुपये के समोसे खरीदे गए उससे पाकिस्तान के लोगों को एक साल का राशन मिल सकता था। दार्जिलिंग और ऊँटी तो समझ आते हैं लेकिन इन लोगों ने पलामू और सीतामढ़ी तक को नहीं छोड़ा है। देश के कोने-कोने से शहर ढूँढ-ढूंढकर वहाँ G20 की मीटिंग्स करवाई जा रही है।
अब विदेश मंत्रालय के लिए एक नई समस्या उत्पन्न हो गई है, G20 की मीटिंग करवाने के लिए कोई शहर बचा ही नहीं है, ऐसे में मोदीजी ने आदेश दिया है कि G20 के बाकी मीटिंग्स गाँव में आयोजित करवाए जाएं। इतना जबरदस्त आइडिया देने पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मोदीजी को धन्यवाद कहा है।
उन्होंने कहा कि, “देखिए! मोदीजी हमेशा लीक से हटकर चलने वाले इंसान हैं, मुझे तो गाँव की याद ही नहीं आ रही थी, मोदीजी ने कहा तब मुझे भी ख्याल आया! अब देखना बाकी के बचे अट्ठारह हजार मीटिंग्स को हम गाँव की गलियों तक ले जाएंगे!”