कानपुर. एक दिन अशोक कुमार अपने घर में टीवी देख रहा था, तभी बाहर से किसी ने आवाज लगाई “अशोक कुमार है?” अशोक दौड़कर बाहर निकला तो देखा कि सामने पोस्टमैन खड़ा है। पोस्टमैन ने पूछा “क्या तुम ही अशोक कुमार हो? अशोक ने झट से हाँ में सिर हिला दिया।
“ये लो तुम्हें सौ रूपए का मनीआर्डर आया है” कहते हुए पोस्टमैन ने अशोक को सौ रूपए थमा दिए। अशोक पैसे पाकर ख़ुशी से पागल हो गया, साथ ही वो मन ही मन ये सोचने लगा कि एक बेरोजगार आदमी को किस मूर्ख ने पैसे भेज दिए। बताया जाता है कि अशोक के पूरे खानदान में किसी को आज तक मनीआर्डर नहीं आया था।
जैसे ही ये बात अशोक के दोस्तों को पता चली, सब ने अशोक को तुरंत फोन लगाया। सभी दोस्त मनीआर्डर आने की ख़ुशी में अशोक से पार्टी मांगने लगे। जोश में आकर अशोक ने भी अपने दोस्तों को पार्टी का वादा कर दिया। शाम को सभी दोस्तों ने मिलकर जमकर पार्टी की, इस पार्टी में उसने अपने दोस्तों को किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं होने दी।
सुबह जब अशोक ने हिसाब लगाया तो उसने सौ रूपए के मनीआर्डर की ख़ुशी में आठ सौ रूपए खर्च कर दिए थे। अशोक हिसाब लगा ही रहा था कि बाहर से फिर किसी ने आवाज लगाईं “अशोक घर पर है?” अशोक ने सोचा कि शायद एक और मनीआर्डर आया है, वो बिजली की गति से बाहर निकला।
सामने पोस्टमैन खड़ा था उसने गुस्से में कहा “कल जो मैंने सौ रूपए दिए थे वो वापस करो, वो किसी और अशोक कुमार के हैं, गलती से मैंने तुम्हे दे दिया था।” यह सुनकर अशोक के पैरों तले जमीन खिसक गई।
उसने कहा कि मेरे पास तो अभी पैसे नहीं हैं, वो पैसे तो मैंने कल रात पार्टी में खर्च कर दिए। पोस्टमैन ने जब पुलिस की धमकी दी तो अशोक ने पोस्टमैन से वादा किया कि वो पच्चीस-पच्चीस रूपए के चार किश्त करके असली अशोक कुमार को उसके पैसे लौटा देगा।