गाजियाबाद के मशहूर बिल्डर विजय सिंघानिया को खुद का घर देरी से बनाना महंगा पड़ गया है, अब उनकी पत्नी नाराज होके मायके चली गई है और उसने केस भी दर्ज करा दिया है।
दरअसल, शैलबाला जी जब भी अपने पति से पूछती कि हमारे घर का काम कहाँ तक पहुँचा है जी? तो बिल्डर साब भड़क जाते थे। वो कहते- “उसे घर ना कहो मेरी जान, बंगला कहो बंगला! आखिर शहर के सबसे बड़े बिल्डर का मकान है, बनने में समय तो लगेगा ही!”
दस साल तक उन्होंने ऐसी ही बातें करके अपनी पत्नी को अंधेरे में रखा लेकिन पिछले हफ्ते शैलबाला जी के सब्र का बांध टूट गया। उन्होंने ड्राइवर से गाड़ी निकालने को कहा और सीधे साइट पर पहुँच गई। वहाँ जाकर देखा तो उनकी आँखें खुली की खुली रह गईं। पहला माला भी तैयार नहीं था, मकान के नाम पर चार खंभे खड़े थे।
वो सीधे अपने पति के ऑफिस गई और उनका कॉलर पकड़ लिया, “तुम तो कहते थे कि सिर्फ इंटीरियर का काम बाकी है लेकिन वहाँ तो अभी फाउंडेशन का काम चल रहा है! थोड़ी सी गिट्टी, थोड़ी सी रेत। सरिया तो मुझे नजर ही नहीं आई, सारे मजदूर बैठकर बीड़ी पी रहे हैं और तुम कहते हो कि उसे बंगला कहो बंगला!
मैं जा रही हूँ पुलिस थाने! जब तक तुम लोगों पर केस दर्ज नहीं हो ना तब तक बात समझ में नहीं आती!” -कहती हुई वो सीधे केस दर्ज कराने चली गईं।
उधर, द फॉक्सी से बात करते हुए बिल्डर सिंघानिया ने बताया कि, “देखिए! टाइम पर प्रोजेक्ट पूरा करना हमारी परंपरा के खिलाफ है चाहे वो अपना ही घर क्यों ना हो? जब तक ग्राहक का आँसू ना निकाल दें हमें बिजनेस में मजा ही नहीं आता! यूँ समझ लीजिए कि लेट-लतीफी हमारे DNA में शामिल हो गई है!”
अच्छा हुआ जो शैलबाला अदालत चली गई, वरना दस साल और लग जाते! अब मेरी रफ्तार देखना, छः महीने में मकान तैयार करके गृह प्रवेश करा दूंगा!” -कहते हुए सिंघानिया अपने मैनेजर को फोन घुमाने लगे।