बात ऐसी है कि आजकल केजरीवाल को थप्पड़ न पड़ जाए तब तक कोई चुनाव चुनाव लगता ही नहीं। अब तक इतने थप्पड़ खा चुके हैं कि कुछ विशेषज्ञ ने मिया खलीफा का रिकॉर्ड टूट जाने का दावा कर दिया है। वो बात अलग है दोनों को थप्पड़ अलग अलग जगहों पर पड़े।
खैर, माना कि केजरीवाल में थप्पड़ खाने की असीम शक्ति भी है और हरकतें भी ऐसी हैं। मगर इसका कुछ उपाय तो करना ही था, बस क्या था फिर अपने देश मे जुगाड़ की कमी है क्या ?
दिखने में तो उपाय कारगर लग रहा है, मगर क्रिएटिविटी तो दोनों तरफ मौजूद है। अब क्या पता कोई लाली एयर स्ट्राइक कर जाए ? जैसे पुलवामा के बाद पाकिस्तान ने ज़मीनी बॉर्डर पर पुख्ता सुरक्षा कर दी थी, और हमने ऊपर से मार दिया था।
वैसे भी हिंदुस्तानी, सेना से ज़्यादा प्रेरित होते हैं। देखते आगे क्या होता है मगर एक बात साफ है आप जो चाहते भगवान वो देता ज़रूर है जैसे केजरीवाल हाथ से गठबंधन चाहते थे, लोग गाल पे हाथ दिए जा रहे हैं।