कल जबलपुर के पंडित अमित ने जोमाटो से आर्डर किया हुआ खाना क्या कैंसिल कराया देश भर में एक नई बहस छिड़ गई है। अमित का तर्क था श्रावण के पवित्र महीने में गैर हिंदू के हाथ का खाना नहीं खाना जिस से न्यूज़ चैनल्स और सोशल मीडिया पर बहस और एक तरह से जंग छीड गयी।
अमित के विरोध में लोगों ने कहा ऐसी मानसिकता समाज को बांटने वाली है तो अमित के समर्थन में लोगों ने कहा मुसलमानों के लिए भी जटके और हलाल का ऑप्शन रखा गया है। वैसे तो हर रोज़ हमारे देश मे नई बहस होती रहती है और नेताओं को भी मौका मिल जाता है चर्चा में बने रहने का फिर ये मौका कैसे छूट जाता भला।
नेताओं ने इस मौके ऐसे लपका जैसे भ्रस्टाचार का पैसा हो। इसमे सबसे अव्वल आये हमेशा की तरह उत्तर प्रदेश के आज़म खान। जी हां वही आज़म खान जो इंसान के कछों का रंग पता करने के लिए जाने जाते हैं। हालांकि आज़म ने जोमाटो के बारे में कुछ नहीं कहा मगर इस बहस को यह कहकर नई दिशा दे दी कि देश भर के पागलखानों में पागलों को दिए जा रहे बिजली के जटके हमारे लिए हराम हैं और मुसलमानों के लिए सरकार बिजली के जटकों की बजाय बिजली के हलाल की व्यवस्था करे।
जी हां यह पढ़कर आपको भी चक्कर आये होंगे तो ज़रूर निम्बू पानी पी लीजिएगा , हमारे संवाददाता को भी आ गए थे फिर जुराब सुंघा कर होश में लाने के बाद उन्होंने आज़म का इंटरव्यू पूरा किया। इस बयान के बाद देश भर में अलग अलग प्रतिक्रियां आने लगीं हैं और हमेशा की तरह आज़म खान पर तंज कसे जा रहे हैं व खिलाफत हो रही है। मगर आज़म बेफिक्र हो कर अगले उटपटांग बयान की तैयारी कर रहे हैं।
इस सारे घटनाक्रम पर फौक्सि तो यही कहता है कि ” पागल का कोई धर्म नहीं होता , पागल की कोई जात नहीं होती बल्कि पागलपन अपने आप मे एक मज़हब और जात है “