भोपाल. प्रगति नगर इलाके में रहने वाला अर्पित चंद्रवंशी दो साल पहले एक नई कार खरीदने वाला था। जैसे ही ये बात उसके एक दोस्त को पता चली तो उसने अर्पित को सलाह दिया कि- “कार लेना कोई बच्चों का खेल नहीं है, पहले तू अच्छे से रिसर्च कर ले फिर खरीदने जाना वरना तुझे बुद्धू बनाके खटारा पकड़ा देंगे शोरूम वाले। उनका क्या है? उन्हें तो कार बेचनी है बस!”
बस, अर्पित अपने दोस्त की बातों में आ गया और उसने उस दिन से ही कार के बारे में रिसर्च करना शुरू कर दिया। हर रोज़ ऑफिस से आने के बाद लैपटॉप खोलकर बैठ जाता और कारों के मॉडल और फीचर्स देखता रहता। अर्पित जब भी किसी कार वाले से मिलता तो उससे उसके कार के बारे में पूछने लगता- ‘कितनी पड़ी? माईलेज कितना देती है? वगैरह-वगैरह?’
इसी तरह दो साल तक रिसर्च करने के बाद अर्पित Car के मामले में एक्सपर्ट हो गया। अब उसने कार खरीदने की ठान ली और पहुँच गया शोरूम। शोरूम पहुँचते ही सेल्समेन ने उसका स्वागत किया और कहा- आईए सर! मैं आपको कार दिखाता हूँ।” तो अर्पित ने थोड़ा बनते हुए कहा-‘रहने दो! मैं देख लूँगा।”-कहते हुए अर्पित पूरे शोरूम का चक्कर लगाने लगा।
सभी कारों को घूर-घूरकर देखने के बाद वो सेल्समेन के पास आकर बोला- “ये पीली वाली Car का मैक्स टार्क कितना है? उस नीली वाली कार में बम्पर 2.5 CM छोटा क्यों है? इस वाले car की गियर बॉक्स कहाँ बनी है इंडिया में की चीन में? इसका बैटरी केबल मजबूत है कि नहीं?’
सेल्समेन सोच रहा था कि ये तो सिर्फ माईलेज के बारे में ही पूछेगा लेकिन इतने सारे सवाल सुनकर सेल्समेन की आँखें फट गयीं और मुंह खुला का खुला रह गया। उसे कुछ नहीं सुझा। “अभी सेठजी को बुलाके लाता हूँ! वही बताएंगे।”-ऐसा कहते हुए वह अपने मालिक को बुलाने चला गया। थोड़ी देर बाद शोरूम का मालिक आया और अर्पित से बोला-“अच्छा तो आप हैं! बताइए आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?
इतना सुनते ही अर्पित ने फिर से तीन-चार सवाल एक साथ दाग दिए- ” इस Car का स्लिप रिंग अच्छा है कि नहीं? उस ब्लैक Car का स्पार्क प्लग खोलके दिखाओ ना मुझे चेक करना है? उस लाल वाली कार में रोटर और स्टेटर अच्छा वाला लगा है कि नहीं?”
अर्पित लगातार सवाल ठोंक रहा था और शोरूम में मौजूद सारे लोग सिर्फ उसका चेहरा देख रहे थे। जवाब कोई नहीं दे रहा था। सवालों से तंग आकर वहां से भागने का महान कार्य शोरूम के मालिक ने शुरू किया जिसे सेल्समेन ने आगे बढाया। थोड़ी देर बाद जब वहां कोई नहीं बचा तो अर्पित ने कहा-अरे कहाँ चल दिए! रुकिए तो! खैर कल फिर किसी दुसरे शोरूम में ट्राई करूँगा।”-कहते हुए वो घर वापस आ गया।