दिन भर किसी को भी ‘अकेल-अकेले?’ कहने की आदत, कितना खतरनाक हो सकती है ये कोई अस्पताल में ग्लूकोज की बोतल पकड़कर खड़े आशिक खान से पूछे। हुआ यूँ कि आज सुबह-सुबह वो चायपत्ती खरीदने दुकान जा रहा था तो रास्ते में उसे फैजल मिल गया जो खोपचे में खड़े होकर गुटखे को मसल रहा था। ये देखकर आशिक की मुँह से निकल गया, ‘अबे फैजल.. अकेले-अकेले?”
इतना सुनते ही फैजल ने पीछे मुड़कर देखा और थोड़ी देर बाद सोचकर बोला- “आ जा इधर आ.. तू भी खा ले” इतना सुनते ही आशिक के तो भाग खुल गए, वो लपककर फैजल के पास पहुँचा, गुटखा हाथ में लिया और मुँह आसमान की ओर उठाकर पूरा पैकेट गटक गया।
बस, यहीं पर आशिक से बहुत बड़ी गलती हो गई। फैजल के हाथ में गुटखे का पैकेट नहीँ बल्कि सल्फास का सैशे पैकेट था। “अबे कहाँ से खरीदा है तूने, कुछ अजीब लग रहा है, तगड़ा माल है क्या?” -आशिक ने डोलते हुए कहा। हालाँकि तब तक फैजल फ्लैट हो चुका था।
बाद में कुछ लोगों ने दोनों को अस्पताल पहुँचाया जहाँ उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। उधर, आशिक ने कसम खाई है कि अब वो किसी को भी ‘अकेले-अकेले’ नहीं कहेगा।
अस्पताल की चारपाई पर पड़े-पड़े उसने द फॉक्सी को बताया कि, “मुझे ‘अकेले-अकेले’ कहने की लत पड़ गई थी! कोई बाइक पर जा रहा होता तो उससे कहता-‘अकेले-अकेले?’ कोई गुटखा खा रहा होता तो उससे बोलता ‘अकेले-अकेले’
एक बार तो हद हो गई थी जब मैंने परवेज को उसकी शादी पर ‘अकेले-अकेले’ कह दिया था! मार खाते-खाते बचा था उस दिन! अब किसी को भी ऐसा नहीं कहूँगा, कसम खाता हूँ!” -कहते हुए आशिक ने कान पकड़ लिया।