पटना. गुड्डू पेजर नाम का एक छपरी युवक कॉलेज के सामने लड़कियों को हर रोज परेशान किया करता था लेकिन कल उसकी किस्मत खराब थी और एक लड़की के चिल्लाने पर वहाँ थोड़ी ही देर में अच्छी-खासी भीड़ जमा हो गई। भीड़ ने पूरा मन बना लिया था कि आज इसको पेलकर, इसका अगला-पिछला सारा हिसाब एक दिन में ही चुकता कर देना है, अतः कुटाई कार्यक्रम चालू हो गया।
गुड्डू कराहने लगा। तभी कहानी में एक नया मोड़ आ गया। गुड्डू को एक महान व्यक्ति की वह बात याद आ गई जिसमें उन्होंने कहा था कि महिला और पुरूष की कोई सटीक व्याख्या नहीं की जा सकती।
बस, इसी बयान को अपना कवच बनाते हुए गुड्डू उठकर खड़ा हुआ और उसने अपने आप को महिला घोषित कर दिया। “मैं लड़की हूँ, अब मुझे मारके दिखाओ!” -गुड्डू ने ताल ठोंकते हुए कहा।
उधर, इस छपरी युवक की हरकत देखकर भीड़ अवाक रह गई। “मैं तो खुद लड़की हूँ, भला मैं दूसरी लड़की को कैसे छेड़ सकता हूँ? अब तो कानून के मुखिया भी मेरे साथ हैं!” -गुड्डू ने भीड़ को चिढ़ाते हुए कहा।
जनता को तो समझ ही नहीं आया कि ये टपोरी क्या तर्क दे रहा है, पाँच मिनट पहले जो लड़का था वो मार खाने के नाम पर लड़की कैसे बन सकता है? इसी उधेड़बुन में भीड़ ने पिटाई का द्वितीय चरण आरंभ कर दिया। इस बार उसकी ‘वोक’ हरकत को देखते हुए मारने वालों की तीव्रता में 200 प्रतिशत की उछाल दर्ज की गई।